
समास (Samas in Hindi) का तात्पर्य होता है – संक्षिप्तीकरण। इसका शाब्दिक अर्थ होता है छोटा रूप। दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए एक नवीन एवं सार्थक शब्द को समास कहते हैं। इन दोनों से जो नया शब्द बनता है वो समस्त पद कहलाता है। समास रचना में दो पद होते हैं, पहले पद को पूर्वपद कहा जाता है और दूसरे को उत्तरपद या अंतिम पद। आज हम आप सबको हिंदी व्याकरण समास को सिखने का आसान तरीका बताने जा रहे है और अगर आप किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है तो यह आपके लिए बहुत ही उपयोगी है।
जैसे :
रसोईघर : रसोई = प्रथम पद, घर = द्वितीय पद
राजपुत्र : राज = प्रथम पद, पुत्र = द्वितीय पद
सामासिक शब्द (Samas Shabd)
समास (Samas) के नियमों से निर्मित नवीन शब्द सामासिक शब्द कहलाता है। इसे समस्तपद भी कहते हैं। समास होने के बाद विभक्तियों के चिह्न लुप्त हो जाते हैं।
जैसे :
हाथ के लिए कड़ी = हथकड़ी
रसोई के लिए घर = रसोईघर
राजा का पुत्र = राजपुत्र
नील और कमल = नीलकमल
समास विग्रह (Samas Vigrah)
सामासिक शब्दों के बीच के सम्बन्ध को स्पष्ट करने को समास-विग्रह कहते हैं। विग्रह के बाद सामासिक शब्द गायब हो जाते हैं अथार्त जब समस्त पद के सभी पद अलग किये जाते हैं उसे समास-विग्रह कहते हैं।
जैसे :
हथकड़ी = हाथ के लिए कड़ी
रसोईघर = रसोई के लिए घर
राजपुत्र = राजा का पुत्र
नीलकमल = नील और कमल
समास को पहचानने का तरीका (Samas in Hindi)
अव्ययीभाव = पूर्वपद प्रधान होता है।
तत्पुरुष = उत्तरपद प्रधान होता है।
द्विगु = पहला पद संख्यावाचक होता है।
कर्मधारय = दोनों पद प्रधान होता है।
द्वन्द्व = दोनों पद प्रधान होते है, विग्रह करने पर दोनों शब्द के बिच (-) चिन्ह लगता है।
बहुब्रीहि = कोई तीसरा शब्द प्रधान होता है।
Samas Ke Prakar – समास के भेद
1. अव्ययीभाव समास
2. तत्पुरुष समास
3. कर्मधारय समास
4. द्विगु समास
5. द्वंद्व समास
6. बहुब्रीहि समास
1. अव्ययीभाव समास (Avyayibhav Samas)
जिस समास (Samas) का प्रथम पद प्रधान हो, और वह अव्यय हो तो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। जैसे – आमरण (मृत्यु तक), यथामति (मति के अनुसार) इनमें आ और यथा अव्यय हैं।
| 1 | आजन्म | जन्म से लेकर |
| 2 | यथास्थान | स्थान के अनुसार |
| 3 | आमरण | मृत्यु तक |
| 4 | अभूतपूर्व | जो पहले नहीं हुआ |
| 5 | निर्भय | बिना भय के |
| 6 | निर्विवाद | बिना विवाद के |
| 7 | निर्विकार | बिना विकार के |
| 8 | यथासमय | समय के अनुसार |
| 9 | यथाशीघ्र | शीघ्रता से |
| 10 | यथाक्रम | क्रम के अनुसार |
| 11 | अनुकूल | मन के अनुसार |
| 12 | प्रतिपल | हर पल |
| 13 | अनुरूप | रूप के अनुसार |
| 14 | अकारण | बिना कारण के |
| 15 | बीचोंबीच | बीच ही बीच में |
| 16 | आजीवन | जीवन भर |
| 17 | प्रत्यक्ष | आँखों के सामने |
| 18 | भरपेट | पेट भर के |
| 19 | यथानियम | नियम के अनुसार |
| 20 | आसमुद्र | समुद्र तक |
2. तत्पुरुष समास (Tatpurus Samas)
तत्पुरुष समास ( Tatpurus Samas ) का अंतिम पद प्रधान होता है। ऐसे समास में प्रायः प्रथम पद विशेषण तथा द्वितीय पद विशेष्य होते हैं। द्वितीय पद के विशेष्य होने के कारण समास में इसकी प्रधानता होती है। तत्पुरुष समास के छः प्रकार के होते हैं।
जैसे :
रचना को करने वाला = रचनाकार
राजा का कुमार = राजकुमार
धर्म का ग्रंथ = धर्मग्रंथ
तत्पुरुष समास के निम्नलिखित छः प्रकार होते हैं
- कर्म तत्पुरुष समास
- करण तत्पुरुष समास
- संप्रदान तत्पुरुष समास
- अपादान तत्पुरुष समास
- संबंध तत्पुरुष समास
- अधिकरण तत्पुरुष समास
(I). कर्म तत्पुरुष समास – इसमें कर्म कारक की विभक्ति ‘को’ का लोप हो जाता है।
| 1 | सर्वभक्षी | सब का भक्षण करने वाला |
| 2 | यशप्राप्त | यश को प्राप्त |
| 3 | मनोहर | मन को हरने वाला |
| 4 | गिरिधर | गिरी को धारण करने वाला |
| 5 | कठफोड़वा | कांठ को फ़ोड़ने वाला |
| 6 | माखनचोर | माखन को चुराने वाला |
| 7 | शत्रुघ्न | शत्रु को मारने वाला |
| 8 | गृहागत | गृह को आगत |
| 9 | कुंभकार | कुंभ को बनाने वाला |
| 10 | मुंहतोड़ | मुंह को तोड़ने वाला |
(II). करण तत्पुरुष समास – इसमें करण कारक की विभक्ति ‘के, से, द्वारा’ का लोप हो जाता है।
| 1 | शोकग्रस्त | शोक से ग्रस्त |
| 2 | पर्णकुटीर | पर्ण से बनी कुटीर |
| 3 | सूररचित | सूर द्वारा रचित |
| 4 | रोगातुर | रोग से आतुर |
| 5 | कर्मवीर | कर्म से वीर |
| 6 | अकाल पीड़ित | अकाल से पीड़ित |
| 7 | रक्तरंजित | रक्त से रंजीत |
| 8 | करुणा पूर्ण | करुणा से पूर्ण |
| 9 | जलाभिषेक | जल से अभिषेक |
| 10 | मदांध | मद से अंधा |
| 11 | रोगग्रस्त | रोग से ग्रस्त |
| 12 | गुणयुक्त | गुणों से युक्त |
| 13 | मदांध | मद से अंधा |
| 14 | अंधकार युक्त | अंधकार से युक्त |
| 15 | मनचाहा | मन से चाहा |
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(III). संप्रदान तत्पुरुष समास – इसमें संप्रदान कारक की विभक्ति ‘के लिए‘ लुप्त हो जाती है।
| 1 | रसोईघर | रसोई के लिए घर |
| 2 | युद्धभूमि | युद्ध के लिए भूमि |
| 3 | सत्याग्रह | सत्य के लिए आग्रह |
| 4 | हथकड़ी | हाथ के लिए कड़ी |
| 5 | पुस्तकालय | पुस्तक के लिए आलय |
| 6 | देशभक्ति | देश के लिए भक्ति |
| 7 | देवालय | देव के लिए आलय |
| 8 | राहखर्च | राह के लिए खर्च |
| 9 | भिक्षाटन | भिक्षा के लिए ब्राह्मण |
| 10 | विद्यालय | विद्या के लिए आलय |
| 11 | राहखर्च | राह के लिए खर्च |
| 12 | विधानसभा | विधान के लिए सभा |
| 13 | स्नानघर | स्नान के लिए घर |
| 14 | परीक्षा भवन | परीक्षा के लिए भवन |
| 15 | डाकगाड़ी | डाक के लिए गाड़ी |
| 16 | प्रयोगशाला | प्रयोग के लिए शाला |
(IV). अपादान तत्पुरुष समास – इसमें अपादान कारक की विभक्ति ‘से’ लुप्त हो जाती है।
| 1 | कर्महीन | कर्म से हीन |
| 2 | जन्मांध | जन्म से अंधा |
| 3 | वनरहित | वन से रहित |
| 4 | अन्नहीन | न्न से हीन |
| 5 | जातिभ्रष्ट | जाति से भ्रष्ट |
| 6 | नेत्रहीन | नेत्र से हीन |
| 7 | देशनिकाला | देश से निकाला |
| 8 | गुणहीन | गुण से हीन |
| 9 | जलहीन | जल से हीन |
| 10 | धनहीन | धन से हीन |
| 11 | स्वादरहित | स्वाद से रहित |
| 12 | ऋणमुक्त | ऋण से मुक्त |
| 13 | फलहीन | फल से हीन |
| 14 | भयभीत | भय से डरा हुआ |
(V). संबंध तत्पुरुष समास – इसमें संबंध कारक की विभक्ति ‘का, के, की’ लुप्त हो जाती है।
| 1 | कार्यकर्ता | कार्य का करता |
| 2 | चरित्रहीन | चरित्र से हीन |
| 3 | छात्रावास | छात्रावास |
| 4 | जलयान | जल का यान |
| 5 | विद्याभ्यास | विद्या का अभ्यास |
| 6 | कन्यादान | कन्या का दान |
| 7 | सेनापति | सेना का पति |
| 8 | गंगाजल | गंगा का जल |
| 9 | गोपाल | गो का पालक |
| 10 | राजकुमार | राजा का कुमार |
| 11 | पराधीन | पर के अधीन |
| 12 | गृहस्वामी | गृह का स्वामी |
| 13 | शिवालय | शिव का आलय |
| 14 | देशरक्षा | देश की रक्षा |
| 15 | विद्यासागर | विद्या का सागर |
(VI). अधिकरण तत्पुरुष समास – इसमें अधिकरण कारक की विभक्ति ‘में, पर’ लुप्त हो जाती है।
| 1 | क्षणभंगुर | क्षण में भंगुर |
| 2 | रणधीर | रण में धीर |
| 3 | पुरुषोत्तम | पुरुषों में उत्तम |
| 4 | लोकप्रिय | लोक में प्रिय |
| 5 | आपबीती | आप पर बीती |
| 6 | कविश्रेष्ठ | कवियों में श्रेष्ठ |
| 7 | कृषिप्रधान | कृषि में प्रधान |
| 8 | शरणागत | शरण में आगत |
| 9 | युधिष्ठिर | युद्ध में स्थिर |
| 10 | कलाप्रवीण | कला में प्रवीण |
| 11 | कलाश्रेष्ठ | कला में श्रेष्ठ |
| 12 | आनंदमग्न | आनंद में मग्न |
| 13 | आत्मनिर्भर | आत्म पर निर्भर |
| 14 | गृहप्रवेश | गृह में प्रवेश |
| 15 | धर्मवीर | धर्म में वीर |
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3. कर्मधारय समास (Karmdharay Samas)
जिस समास (Samas) का उत्तरपद प्रधान हो और पूर्वपद व उत्तरपद में विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान – उपमेय का संबंध हो वह कर्मधारय समास (Karmdharay Samas) कहलाता है।
| 1 | महादेव | महान है जो देव |
| 2 | अधमरा | आधा है जो मरा |
| 3 | प्राणप्रिय | प्राणों से प्रिय |
| 4 | मृगनयनी | मृग के समान नयन |
| 5 | चंद्रबदन | चंद्र के समान मुख |
| 6 | विद्यारत्न | विद्या ही रत्न है |
| 7 | चंद्रबदन | चंद्र के समान मुख |
| 8 | श्यामसुंदर | श्याम जो सुंदर है |
| 9 | नीलकंठ | नीला है जो कंठ |
| 10 | महापुरुष | महान है जो पुरुष |
| 11 | महाकाव्य | महान काव्य |
| 12 | चरणकमल | चरण के समान कमल |
| 13 | दुर्जन | दुष्ट है जो जन |
| 14 | नरसिंह | नर मे सिंह के समान |
| 15 | कनकलता | कनक की सी लता |
| 16 | महावीर | महान है जो वीर |
| 17 | कालीमिर्च | काली है जो मिर्च |
| 18 | पीताम्बर | पीला है जो अम्बर |
| 19 | सद्गुण | सद् हैं जो गुण |
| 20 | चन्द्रमुखी | चन्द्र के समान मुख वाली |
4. द्विगु समास (Dwigu Samas)
जिस समास (Samas) में पूर्वपद संख्यावाचक हो तो उसे द्विगु समास कहते हैं। जिस समास का समस्त पद का पहला पद संख्यावाचक हो तो वह द्विगु समास कहलाता है। द्विगु समास दो प्रकार के होते हैं। समाहार द्विगु तथा उपपद प्रधान द्विगु समास।
| 1 | सप्तऋषि | सात ऋषियों का समूह |
| 2 | नवरात्रि | नवरात्रियों का समूह |
| 3 | त्रिनेत्र | तीन नेत्रों का समाहार |
| 4 | पंचमढ़ी | पांच मणियों का समूह |
| 5 | अष्टधातु | आठ धातुओं का समाहार |
| 6 | तिरंगा | तीन रंगों का समूह |
| 7 | सप्ताह | सात दिनों का समूह |
| 8 | पंचमेवा | पांच फलों का समाहार |
| 9 | त्रिकोण | तीनों कोणों का समाहार |
| 10 | दोपहर | दोपहर का समूह |
| 11 | सप्तसिंधु | सात सिंधुयों का समूह |
| 12 | चौराहा | चार राहों का समूह |
| 13 | त्रिलोक | तीनों लोकों का समाहार |
| 14 | नवग्रह | नौ ग्रहों का समाहार |
| 15 | त्रिभुवन | तीन भवनों का समाहार |
| 16 | तिमाही | 3 माह का समाहार |
| 17 | चतुर्वेद | चार वेदों का समाहार |
| 18 | सतमंजिल | सात मंजिलों का समूह |
| 19 | सप्तदीप | सात दीपों का समूह |
| 20 | अठन्नी | आठ आनों का समूह |
5. द्वंद्व समास (Dwandva Samas)
जिस समास (Samas) में पूर्वपद और उत्तरपद दोनों ही प्रधान हों अर्थात् अर्थ की दृष्टि से दोनों का स्वतन्त्र अस्तित्व हो और उनके मध्य संयोजक शब्द का लोप हो तो द्वन्द्व समास कहलाता है। द्वन्द्व समास में विग्रह करने पर ‘और, अथवा, या, एवं’ योजक चिन्ह लगते हैं।
| 1 | अन्न – जल | अन्न और जल |
| 2 | धन – दौलत | धन और दौलत |
| 3 | मार-पीट | मारपीट |
| 4 | गुण – दोष | गुण और दोष |
| 5 | आग – पानी | आग और पानी |
| 6 | सुख – दुख | सुख और दुख |
| 7 | ऊंच – नीच | ऊंच या नीचे |
| 8 | देश – विदेश | देश और विदेश |
| 9 | आगे – पीछे | आगे और पीछे |
| 10 | पाप – पुण्य | पाप और पुण्य |
| 11 | नर – नारी | नर और नारी |
| 12 | अपना – पराया | अपना और पराया |
| 13 | राजा – प्रजा | राजा और प्रजा |
| 14 | छल – कपट | छल और कपट |
| 15 | ठंडा – गर्म | ठंडा और गर्म |
| 16 | राधा – कृष्ण | राधा और कृष्ण |
| 17 | यश – अपयश | यश और अपयश |
| 18 | धर्म – अधर्म | धर्म और अधर्म |
| 19 | हानि – लाभ | हानि और लाभ |
| 20 | उल्टा – सीधा | उल्टा और सीधा |
| 21 | आटा – दाल | आटा और दाल |
| 22 | दूध – दही | दूध और दही |
| 23 | देश – विदेश | देश और विदेश |
| 24 | उन्नतावनत | उन्नत और अवनत |
| 25 | तन – मन – धन | तन, मन और धन |
6. बहुब्रीहि समास (Bahubrihi Samas)
बहुब्रीहि समास (Samas) में कोई पद प्रधान नहीं होता दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद की ओर संकेत करते हैं। बहुव्रीहि समास में आए पदों को छोड़कर जब किसी अन्य तीसरे की प्रधानता हो तब उसे बहुव्रीहि समास कहते हैं।
| 1 | चतुर्भुज | चार है भुजाएं जिसकीअर्थात विष्णु |
| 2 | चतुरानन | चार है आनन जिसके अर्थात ब्रह्मा |
| 3 | नीलकंठ | नीला है कंठ जिसका अर्थात शिव |
| 4 | वीणापाणि | वीणा है कर में जिसके अर्थात सरस्वती |
| 5 | पंकज | पंक में जो पैदा हुआ हो अर्थात कमल |
| 6 | लंबोदर | लंबा है उद जिसका अर्थात गणेश |
| 7 | पितांबर | पीत हैं अंबर जिसका अर्थात कृष्ण |
| 8 | गिरिधर | गिरी को धारण करता है जो अर्थात कृष्ण |
| 9 | निशाचर | निशा में विचरण करने वाला अर्थात राक्षस |
| 10 | घनश्याम | घन के समान है जो अर्थात श्री कृष्ण |
| 11 | मृत्युंजय | मृत्यु को जीतने वाला अर्थात शंकर |
| 12 | दशानन | दस है आनन जिसके अर्थात रावण |
| 13 | नीलांबर | नीला है जिसका अंबर अर्थात श्री कृष्णा |
| 14 | चंद्रमौली | चंद्र है मौली पर जिसके अर्थात शिव |
| 15 | त्रिलोचन | तीन है लोचन जिसके अर्थात शिव |
| 16 | चतुर्भुज | चार हैं भुजाएँ जिसकी (विष्णु |
| 17 | विषधर | विष को धारण करने वाला अर्थात सर्प |
| 18 | प्रधानमंत्री | मंत्रियों ने जो प्रधान हो अर्थात प्रधानमंत्री |
| 19 | तपोधन | तप ही है धन जिसका |
| 20 | पतिव्रता | पति ही है व्रत जिसका |
| 21 | अल्पबुद्धि | अल्प बुद्धि है जिसकी |
| 22 | नकटा | नाक कटा है जिसका |
| 23 | बारहसिंगा | बारह सींगे है जिसके |
| 24 | महात्मा | महान है आत्मा जिसकी |
| 25 | विणापाणि | विणा है हाथ में अर्थात माता सरस्वती |
निष्कर्ष
इस आर्टिकल में हमने “समास (Samas in Hindi:)” को विस्तार से बताया है। हमें उम्मीद है कि आपको यह जानकारी अच्छी लगी होगी। इस लेख के बारे में अपने विचार या सुझाव हमें बताये। इसी तरह के और आर्टिकल पढ़ते रहने के लिए हमारे वेबसाइट स्टडी डिसकस और सोशल मीडिया यूट्यूब, टेलीग्राम, फेसबुकऔर इन्स्टाग्राम पर फॉलो करे।
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