हिंदी पत्र लेखन (Letter Writing in Hindi) एक ऐसी कला है जिसका प्रयोग व्यक्तिगत, सामाजिक और प्रशासनिक स्तर पर होता है। दूर स्तिथ अपने परिचित लोगों से भी सम्बन्ध स्थापित करने के लिए पत्र लेखन एक महत्वपूर्ण साधन है। दूर रहने वाले अपने परिवार के लोग, व्यापारियों, सरकारी विभाग, गैर सरकारी विभाग के कार्यालयों के अधिकारियों से सम्पर्क के लिए पत्राचार (पत्र लेखन) का उपयोग करते है।
Letter Writing in Hindi – पत्र लेखन क्या है?
पत्र लेखन भी अपने आप में एक बेहतरीन कला है, जो संदेश के लिए उपयोग किया जाता है। पत्र लेखन के जरिए हम अपना संदेश, अपने विचारों को प्रियजनों तथा अन्य लोगो तक पहुंचा सकते हैं। पुराने समय में जब पत्र लिखने की परंपरा नहीं थी, तब संदेश संदेशवाहक या कबूतरों के द्वारा भेजे जाते थे। और धीरे-धीरे समय बदलने के साथ संदेश भेजने का तरीका भी बदलता गया और संदेश पत्रों के द्वारा भेजे जाने लगे।
इसलिए पत्र में बहुत ही सरल, सहज और सामान्य बोलचाल की भाषा का प्रयोग ही होना चाहिए। ताकि पत्र प्राप्त करने वाला व्यक्ति आपकी भावनाओं को अच्छे से समझ सके।
Format of Letter Writing in Hindi
कोई भी पत्र नियमों के साथ लिखे गए होते हैं, तो वह और ही ज्यादा आकर्षक और शिष्टापूर्वक लगता है। औपचारिक और अनौपचारिक पत्र लेखन हेतु नियम और पत्र के फॉर्मेट अलग-अलग हैं। पत्र लेखन लिखते समय हमे Format of Letter Writing in Hindi का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
निचे औपचारिक पत्र (Formal Format of Letter Writing in Hindi) का नमूना दिया गया है। इस फॉर्मेट का अनुसरण करके आप और अन्य औपचारिक पत्र लिख सकते है।
पता ……………….
विषय ………………. (छुट्टी के लिए आवेदन पत्र)
संबोधन ………………. (महोदय / महोदया, माननीय, सर आदि)
विषय-वस्तु का पहला भाग ………………. (सविनय निवेदन है कि)
विषय-वस्तु का दूसरा भाग ……….. (आपसे विनम्र निवेदन है कि)
हस्ताक्षर व नाम ……………. (भवदीय, प्रार्थी लिखकर हस्ताक्षर करें )
प्रापक के साथ प्रेषक का संबंध …………….
प्रेषक का पता …………….
दिनांक …………….
अनौपचारिक पत्र (Informal Format of Letter Writing in Hindi ) का नमूना दिया गया है। इस फॉर्मेट का अनुसरण करके आप और अन्य अनौपचारिक पत्र लिख सकते है।
दिनांक ……………….
संबोधन ……………….
अभिवादन ……………….
पहला भाग ………………. (कुशल-मंगल समाचार)
दूसरा भाग ……….. (विषय-वस्तु, जिस बारे में पत्र लिख रहे हैं)
तीसरा भाग ……………. (समाप्ति)
प्रापक के साथ प्रेषक का संबंध …………….
प्रेषक का नाम …………….
पत्र प्रेषक कौन होता है?
पत्र भेजने वाले को पत्र प्रेषक कहते हैं। और जिसे पत्र प्राप्त होता है उसे पत्र प्राप्तकर्ता कहते हैंI पत्र के अलग-अलग कई अंग (भाग) होते हैंI पत्र लेखन लिखते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता हैI निचे औपचारिक और अनौपचारिक पत्र लेखन हेतु कुछ जरुरी नियम बताये गए हैं।
Parts of Letter – पत्र के अंग
- प्रारंभ : पते से अभिवादन तक का भाग
- मध्य भाग : विषय का वर्णन
- अंत या समापन : धन्यवाद, भेजने वाले का नाम, पता आदि
इसे भी पढ़े – Informal Letter in Hindi: अनौपचारिक पत्र के प्रकार, प्रारूप
इसे भी पढ़े – Formal Letter in Hindi: औपचारिक पत्र के प्रकार, प्रारूप
पत्र लेखन हेतु महत्वपूर्ण बातें
- औपचारिक पत्र नियमों में बंधे हुए और अनौपचारिक पत्र स्वत्रन्त्र होते हैं।
- पत्र में भाषा का प्रयोग ध्यानपूर्वक किया जाता है। औपचारिक पत्र में अनावश्यक बातों का उल्लेख नहीं करना चाहिए।
- पत्र का आरंभ व अंत प्रभावशाली होना चाहिए।
- पत्र में भाषा सरल और लिखावट स्पष्ट व सुंदर होना चाहिए।
- यदि आप परीक्षा भवन या कक्षा से पत्र लिख रहे हैं, तो परीक्षा भवन अथवा कक्षा (अपने पता के स्थान पर) लिखना चाहिए।
- पत्र पृष्ठ के बाई ओर के Margin Line के साथ मिलाकर लिखना चाहिए।
- औपचारिक पत्र को एक पृष्ठ में और अनौपचारिक पत्र में पृष्ठों की संख्या एक से अधिक हो सकती है।
- प्रधानाचार्य को पत्र लिखते समय प्रेषक के स्थान पर अपना नाम, कक्षा व दिनांक लिखना चाहिए।
Types of Patra Lekhan in Hindi
पत्र लेखन (Patra Lekhan in Hindi) मुख्य रूप से निम्न दो प्रकार के होते हैं:
औपचारिक पत्र – यह पत्र किसी भी सरकारी या गैर-सरकारी कार्यालय से जुड़े अधिकारियों को लिखा जाता है। यह संदेश लिखने वाले व्यक्ति के लिए अपरिचित होते हैं। यह पत्र पूर्ण रूप से व्यावसायिक या सरकारी होते है।
अनौपचारिक पत्र – इस प्रकार के पत्र अपने परिवार या रिश्तेदार को किसी शुभ कार्य, विवाह आदि में उपस्थित होने के लिए बधाई या आमंत्रण देने के लिए होता है। अनौपचारिक पत्र हम केवल उन्ही को लिखते हैं जिससे हमारा व्यक्तिगत सम्बन्ध होता है।
औपचारिक पत्र के प्रकार
- कार्यालय पत्र (Office Letter) – कार्यालय के लिए प्रयोग किए जाने अथवा लिखे जाने वाले पत्रों को कार्यालय पत्र कहा जाता है। यह पत्र किसी देश की सरकार या अन्य देश की सरकार के बीच, राज्य सरकार के कार्यालयों, सरकार और दूतावास और विभिन्न सरकारी कार्यालयों के बीच लिखा जाता है।
- प्रार्थना पत्र (Request Letter) – ऐसे पत्र जिसमे निवेदन अथवा प्रार्थना की जाती है, वे प्रार्थना पत्र कहलाते हैं। यह पत्र शिकायत, सुधार, एवं अवकाश आदि के लिए लिखे जाते हैं।
- व्यावसायिक पत्र (Business Letter) – रुपयों के लेन-देन अथवा सामान खरीदने व बेचने के लिए जो पत्र लिखा जाता है, उसे व्यावसायिक पत्र कहते हैं। इन पत्रों की भाषा पूर्णतः औपचारिक व पत्र नियमों से बंधी होती हैं।
- सम्पादकीय पत्र (Editorial Letter) – वह पत्र जिसे सम्पादक के नाम पर लिखा जाता है, उसे संपादकीय पत्र कहा जाता है। इस प्रकार के पत्र सम्पादक को सम्बोधित होते हैं।
औपचारिक पत्र के उदाहरण
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अनौपचारिक पत्र के प्रकार
- शुभकामना पत्र – यह पत्र अनौपचारिक पत्र का एक प्रकार है. ये पत्र किसी विशेष उपलक्ष्य पर शुभकामनाये देने के लिए लिखा जाता है।
- निमंत्रण पत्र – निमंत्रण पत्र शादी, गृह प्रवेश, घर में पूजा आदि के निमंत्रण देने हेतु लिखा जाता है।
- बधाई पत्र – यह पत्र बधाई देने हेतु लिखे जाते हैं. जैसे परीक्षा में प्रथम आने पर, जन्मदिन की बधाई देने इत्यादि।
- विशेष अवसर पर लिखे पत्र
- जानकारी या सलाह के लिए पत्र
अनौपचारिक पत्र के उदाहरण
औपचारिक और अनौपचारिक पत्र में अंतर
औपचारिक पत्र | अनौपचारिक पत्र |
---|---|
यह पत्र नियमों में बंधे हुए होते हैं। | यह पत्र स्वतंत्र होते हैं। |
संबोधन या अभिवादन का ध्यान रखना चाहिए। | सुख-दुःख, मन की बात लिख सकते हैं। |
बायीं Margin Line के साथ मिलाकर लिखें। | भाषा साधारण व बोलचाल की हो। |
अधिकतम शब्द सीमा 150-200 शब्द। | अधिकतम शब्द सीमा 200 से अधिक। |
एक पृष्ठ में ही पूर्ण पत्र लिखना चाहिए। | पृष्ठों की संख्या एक से अधिक हो सकती है। |
पत्र लेखन हेतु आदरसूचक शब्द
संबंध | संबोधन | अभिवादन | समापन |
---|---|---|---|
दादा, पिता | श्रद्धेय दादाजी, पूजनीय/पूज्य दादाजी | सादर चरण स्पर्श, सादर नमस्कार | आपका आज्ञाकारी, स्नेहाभिलाषी, शुभचिंतक |
पुत्र, पुत्री | चिरंजीव, प्रिय, आयुष्मती | सुखी रहो | हितैषी, शुभ चिंतक |
माता, दादी, नानी | आदरणीय…जी, पूज्यनीया…जी | सादर नमस्कार, चरण वंदना | आपका आज्ञाकारी, स्नेहाभिलाषी, शुभचिंतक |
छोटा भाई, छोटी बहन | प्यारे, प्रिय, स्नेहमयी | शुभाशीर्वाद, सौभाग्यवती | हितैषी, शुभ चिंतक |
मित्र | मित्रवर, प्रिय, स्नेही मित्र | स्नेह, मधुर स्मृति | दर्शनाभिलाषी, आपका मित्र |
बड़ा भाई, बड़ी बहन | आदरणीय भैया, आदरणीय बहन | सादर प्रणाम | आपका आज्ञाकारी, स्नेहाभिलाषी |
माता, दादी, नानी | आदरणीय…जी, पूज्यनीया…जी | सादर प्रणाम, चरण स्पर्श | आपका आज्ञाकारी, स्नेहाभिलाषी |
FAQs
पत्र लेखन क्या है ?
हिंदी पत्र लेखन (Letter Writing in Hindi) एक ऐसी कला है जिसका प्रयोग व्यक्तिगत, सामाजिक और प्रशासनिक स्तर पर होता है।
पत्र लेखन का क्या महत्व है ?
पत्र लेखन का कार्य बहुत ही प्रभावशाली होता है, क्योंकि इस साधन के द्वारा अनेक लोगो (जानकार या अपरिचित) से संपर्क स्थापित कर अपनी बात पत्र के माध्यम से कह सकते हैं।
पत्र लेखन कितने प्रकार के होते हैं?
पत्र लेखन दो प्रकार के होते हैं: औपचारिक पत्र और अनौपचारिक पत्र
हिंदी पत्र के उदाहरण दीजिये?
प्रार्थना पत्र लिखने का तरीका और उदाहरण
प्रार्थना पत्र औपचारिक पत्र के अंतर्गत आता है। इस पत्र के कुछ उदाहरण हैं: शिकायत पत्र, सुधार पत्र, एवं अवकाश हेतु आवेदन पत्र आदि। प्रार्थना पत्र लिखते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना जरुरी होता है। और पढ़े …
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